वाशिंगटन। बृहस्पति ग्रह का ग्रेट रेड स्पॉट की जड़ें काफी गहरी हैं। नासा के जूनो स्पेस क्राफ्ट द्वारा इकट्ठा किए गए आंकड़े बताते हैं कि दिखने वाले बादल गृह के वातावरण में 350 किलोमीटर गहराई तक फैला फैले हैं। इसका मतलब है कि इन बादलों की बृहस्पति के वातावरण में उतनी गहराई है जितनी कि धरती से इंटरनेेशनल स्पेस स्टेशन। जूनो 4 जुलाई 2016 से बृहस्पति की परिक्रमा कर रहा है।
जूनों पहली बार इस इस रेड स्पॉट के करीब से लगभग एक साल पहले गुजरा था। जब स्पेसक्राफ्ट विशाल तूफान से 9000 किलोमीटर ऊपर से होकर गुजरा तो जूनो के माइक्रोवेव रेडियोमीटर ने बादलों की परतों से झांकर वातावरण के 1000 किलोमीटर गहराई तक के तापमान का आंकड़ा जुटाया था।
जूनो के को इन्वेस्टिगेटर एंड्रयू इंगर्सोल ने कहा कि जूनो बादलों की गहराई और रेड स्पॉट की जड़ें तलाश रहा है। छह अलग-अग माइक्रोवेव वेवलेंथ की मदद से गैसों को मापकर रेडयोमीटर वातावरण की भिन्न-भिन्न परतों को की जांच करता है। इंगर्सोल और उनके साथियों ने पाया कि गैस की मोटी परत की वजह से रेड स्पॉट की सतह गहराई तक गर्म है।
तथ्य यह है कि 16000 किलोमीटर चौड़ा स्थान तल में अधिक गर्म है। जो कि ऊपरी सतह पर 120 मीटर प्रति सेकेंड गति तक की हवा को जन्म देता है। गर्म हवा ऊपर उठती है। जिसकी वजह से आंतरिक ताप तूफान को मथने के लिए एनर्जी देता है।
जूनों पहली बार इस इस रेड स्पॉट के करीब से लगभग एक साल पहले गुजरा था। जब स्पेसक्राफ्ट विशाल तूफान से 9000 किलोमीटर ऊपर से होकर गुजरा तो जूनो के माइक्रोवेव रेडियोमीटर ने बादलों की परतों से झांकर वातावरण के 1000 किलोमीटर गहराई तक के तापमान का आंकड़ा जुटाया था।
जूनो के को इन्वेस्टिगेटर एंड्रयू इंगर्सोल ने कहा कि जूनो बादलों की गहराई और रेड स्पॉट की जड़ें तलाश रहा है। छह अलग-अग माइक्रोवेव वेवलेंथ की मदद से गैसों को मापकर रेडयोमीटर वातावरण की भिन्न-भिन्न परतों को की जांच करता है। इंगर्सोल और उनके साथियों ने पाया कि गैस की मोटी परत की वजह से रेड स्पॉट की सतह गहराई तक गर्म है।
तथ्य यह है कि 16000 किलोमीटर चौड़ा स्थान तल में अधिक गर्म है। जो कि ऊपरी सतह पर 120 मीटर प्रति सेकेंड गति तक की हवा को जन्म देता है। गर्म हवा ऊपर उठती है। जिसकी वजह से आंतरिक ताप तूफान को मथने के लिए एनर्जी देता है।
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