Sunday 25 September 2016

कार्बन डाई आक्साइड को बदला जा सकेगा उर्जा में

वैज्ञानिको ने काबर्न डाई ऑक्साइड को ईंधन में बदलने का तरीका खोज निकाला है। इसे उर्जा में बदलने की प्रक्रिया में सूर्य की रोशनी का इस्तेमाल किया जाएगा। यह खोज अमेरिका की अर्गोन नेशन लैबरोटरी और इलिनोइस यूनिवर्सिटी, शिकागो के रिसर्चरों ने मिलकर की है। इसमें काबर्न डाई ऑक्साइड को पहले मोनो ऑक्साइड में बदला जाएगा।

आर्गोने लैबरोटरी में केमिस्ट लैरी कटिस, कार्बन डाई ऑक्साड को वातावरण से अलग करने को बड़ी चुनौती बताते हैं। वह इसके पीछे काबर्न डाई ऑक्साइड का अपेक्षाकृत बेहद कम प्रतिक्रिया करना बताते हैं। इसके लिए कर्टिस और उनके सहयोगियों ने टंगस्टन डिसेलेनाइड नाम का कंपाउंड खोजा है। जो कि प्रतिक्रिया में उत्प्रेरक का काम करेगा और काबर्न डाई ऑक्साइड को काबर्न मोनो आक्साइड में बदला जा सकेगा। वैज्ञानिक मोनो ऑक्साड को ईंधन में बदलने का तरीका पहीले ही इजाद कर चुके हैं।  इस प्रक्रिया में प्रकाश संश्लेषण के बुनियादी तरीकों का भी इस्तेमाल किया जाता है।

कर्टिस के अनुसार, पौधों को प्रकाश संश्लेषण में पानी, धूप और काबर्न डाई ऑक्साड की जरूरत होती है। हम भी इन्हीं तत्वोंं का इस्तेमाल कर रहे, बस उत्पाद भिन्न होगा। रिसर्च टीम ने प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया पूरा करने के लिए एक कृत्रिम पत्ती का निर्माण किया। पूरी प्रक्रिया तीन चरणों में संपन्न होती है। पहले चरण में प्रकाश में आने वाले फोटान कणों को ऋण आवेशित इलेक्ट्रान के जोड़ों में बदल दिया जाता है। फिर उन्हें धन आवेशित छिद्र में प्रवेश कराया जाता है। जहां वे एक दूसरे से अलग हो जाते हंै। दूसरे चरण में छिद्र पानी के अणुओं से प्रतिक्रिया करके प्रोटॉन और ऑक्सीजन के अणु बनाते हैं। अंत में प्रॉटान, इलेक्ट्रान और काबर्न डाईऑक्साइड एक दूसरे से से प्रतिक्रिया करके काबर्न मानो ऑक्साइड और पानी बनाते हैं।

आर्गोने लैब के भौतिक विज्ञानी पीटर जपोल कहते हैं, हम हाइड्रोकार्बन उत्पादों से निकलने वाले रासायनिक अपशिष्टों को दोबारा प्रयोग करने का विकल्प तलाश रहे हैं। नया तरीका महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
वातारवरण की जहरीली गैस को अब ईंधन के रूप में उपयोग किया जा सकेगा। अमेरिका की अर्गोन नेशन लैबरोटरी और इलिनोइस यूनिवर्सिटी, शिकागो के रिसर्चरों ने मिलकर इसे ईंधन में के रूप में बदलने में सफलता हासिल की है। इसके लिए पौधों में होने वाली प्रकाश संश्लेषण तकनीक जैसी विधि अपनाई जाएगी। इस पूरी प्रक्रिया में सबसे पहले कार्बन डाई ऑक्साइड को मोनो ऑक्साइड में बदला जाएगा, फिर मोनो ऑक्साइड को ईंधन के रूप में।

कार्बन डाई आक्साइड को ऊर्जा में बदलने में क्या थी चुनौती


आर्गोने लैबरोटरी में केमिस्ट लैरी कटिस कार्बन डाई ऑक्साड को वातावरण से अलग करने को बड़ी चुनौती बताते हैं। क्योंकि कार्बन डाई आक्सावह इसके पीछे काबर्न डाई ऑक्साइड का अपेक्षाकृत बेहद कम प्रतिक्रिया करना बताते हैं। इसके लिए कर्टिस और उनके सहयोगियों ने टंगस्टन डिसेलेनाइड नाम का कंपाउंड खोजा है। जो कि प्रतिक्रिया में उत्प्रेरक का काम करेगा

No comments:

Post a Comment